Ravidas Jayanti – डीजे बजाते समय करें नियमो का पालन नहीं तो होगी जेल

Ravidas Jayanti

Ravidas Jayanti रविदास जयंती संत रविदास जी की याद में मनाई जाती है, जिन्होंने समाज में समानता, प्रेम और भक्ति का संदेश दिया। उनकी शिक्षाओं ने लाखों लोगों को प्रेरित किया और आज भी उनके विचार मानवता को एक नई दिशा देते हैं। इस दिन भव्य शोभायात्राएं, भजन-कीर्तन और सामाजिक सेवा कार्य किए जाते हैं। हालांकि, उत्सव के दौरान डीजे (DJ) बजाने के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि श्रद्धा के साथ-साथ शांति भी बनी रहे।

रविदास जयंती का महत्व

संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसलिए यह दिन बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। उनके विचारों का मूल सार इस प्रकार है:

  • जात-पात का भेदभाव नहीं – उन्होंने समाज में समानता और भाईचारे पर जोर दिया।
  • ईश्वर भक्ति – उन्होंने बताया कि सच्ची भक्ति मन की शुद्धता से होती है।
  • ईमानदारी और परिश्रम – उन्होंने कर्म को ही सच्ची पूजा कहा।

इस दिन भक्तगण शोभायात्राएं निकालते हैं, गुरुग्रंथ साहिब का पाठ होता है, और भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय बनता है।

रविदास जयंती संत रविदास जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है, जो भक्ति, समानता और मानवता के प्रतीक थे। उन्होंने समाज में जात-पात के भेदभाव को मिटाने और प्रेम व सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को नई दिशा देने का कार्य कर रही हैं।


संत रविदास: जीवन और विचार

संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन काशी (वाराणसी) में हुआ था। वे जन्म से चर्मकार परिवार में पैदा हुए, लेकिन उन्होंने हमेशा कर्म को ही सबसे बड़ा धर्म माना। उनकी भक्ति और ज्ञान से प्रभावित होकर कई राजा-महाराजा और आमजन उनके शिष्य बने।

मुख्य शिक्षाएं

  1. ईश्वर एक है – उन्होंने जाति, धर्म और ऊँच-नीच से ऊपर उठकर भक्ति को सबसे श्रेष्ठ बताया।
  2. कर्म ही पूजा है – परिश्रम और ईमानदारी से किया गया कार्य ही सच्ची भक्ति है।
  3. समानता का संदेश – हर व्यक्ति बराबर है, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग से हो।
  4. सादगी और भक्ति का जीवन – सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर भगवान की भक्ति करना ही मुक्ति का मार्ग है।

कैसे मनाई जाती है रविदास जयंती

Ravidas Jayanti  पर विभिन्न स्थानों पर भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं।

मुख्य आयोजन – Ravidas Jayanti

Wed, 12 Feb, 2025

  • नगर कीर्तन और शोभायात्रा – श्रद्धालु नगर में भक्ति गीतों के साथ शोभायात्रा निकालते हैं।
  • भजन-कीर्तन और प्रवचन – गुरुद्वारों और मंदिरों में भजन-कीर्तन और संतों के प्रवचन होते हैं।
  • लंगर और सेवा कार्य – इस दिन विशेष लंगर (भंडारे) का आयोजन किया जाता है, जहाँ सभी लोगों को समान भाव से भोजन कराया जाता है।
  • संत रविदास के दोहों का पाठ – उनके अमृत वचनों का स्मरण कर समाज में प्रेम और सद्भावना का संदेश फैलाया जाता है।

संत रविदास के प्रसिद्ध दोहे

  1. “मन चंगा तो कठौती में गंगा”
    – यदि मन शुद्ध है तो हर स्थान पवित्र है।

  2. “जात-पात के पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई”
    – ईश्वर के लिए जाति का कोई भेदभाव नहीं, जो भक्ति करता है, वही ईश्वर का प्रिय होता है।

  3. “ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न”
    – उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ कोई भूखा न रहे।

डीजे बजाने के नियम और सावधानियां – Ravidas Jayanti

उत्सव का आनंद लेने के लिए संगीत जरूरी होता है, लेकिन कानून और सामाजिक शांति को ध्यान में रखते हुए डीजे बजाने के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है।

1. ध्वनि सीमा का पालन करें

  • डीजे की आवाज़ 100 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • रात 10 बजे के बाद तेज आवाज में डीजे बजाना प्रतिबंधित है।

2. अनुमति लेना अनिवार्य

  • स्थानीय प्रशासन से लिखित अनुमति लेना जरूरी होता है।
  • बिना अनुमति के डीजे बजाने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

3. धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करें

  • केवल भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक गीतों को प्राथमिकता दें।
  • किसी भी आपत्तिजनक या भड़काऊ गाने को बजाने से बचें।

4. हॉस्पिटल और स्कूल के पास डीजे न बजाएं

  • धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी को भी समझें।
  • अस्पतालों, स्कूलों और वृद्धाश्रमों के पास तेज आवाज में संगीत न बजाएं।

5. ट्रैफिक और सार्वजनिक शांति का ध्यान रखें

  • शोभायात्रा में डीजे बजाने से पहले ट्रैफिक पुलिस की गाइडलाइन का पालन करें।
  • सड़क जाम या किसी भी आपातकालीन वाहन के आवागमन में बाधा न डालें।

निष्कर्ष

रविदास जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि संत रविदास के विचारों को आत्मसात करने का अवसर है। अगर इस दिन उत्सव और डीजे का आनंद उठाना है, तो हमें कानून और सामाजिक नियमों का पालन करते हुए इसे मनाना चाहिए। इस तरह श्रद्धा और अनुशासन के संतुलन से यह पर्व और भी पवित्र और यादगार बन सकता है।

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